BRABU : बेतिया में जल्द खुलेगा बिहार यूनिवर्सिटी का एक्सटेंशन काउंटर, इसी हफ्ते होगा नोटिफिकेशन, छात्रों को ये मिलेगी सुविधा
BRABU : बेतिया में जल्द खुलेगा बिहार यूनिवर्सिटी का एक्सटेंशन काउंटर, इसी हफ्ते होगा नोटिफिकेशन, छात्रों को ये मिलेगी सुविधा
BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी का पहला एक्सटेंशन काउंटर बेतिया में इसी महीने खुल जायेगा. यूनिवर्सिटी की ओर से इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है।
कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद पांडेय की अध्यक्षता में उनके आवास पर अधिकारियों की बैठक
सोमवार को कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद पांडेय की अध्यक्षता में उनके आवास पर अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें एक्सटेंशन काउंटर खोलने को लेकर कार्ययोजना तैयार की गयी. कुलपति ने कहा कि तैयारी शुरू कर दी गयी है. यूनिवर्सिटीय की ओर से इसी हफ्ते प्रक्रिया शुरू करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि जल्द ही एक्सटेंशन काउंटर क्रियाशील हो जायेगा. बेतिया स्थित एमजेके कॉलेज में एक्सटेंशन काउंटर खोलने का प्रस्ताव दिया गया है. बैठक के दौरान एकेडमिक मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रस्तावित सीनेट की बैठक को लेकर भी चर्चा की गयी।
कुलपति ने सीनेट की बैठक में 11 जनवरी को दूसरी बैठक कराने की घोषणा की थी. हालांकि इसमें राजभवन की अनुमति नहीं होने के कारण अड़ंगा लग गया. सीनेट के लिए प्रस्ताव तैयार करने की बात करते हुए कहा गया कि अनुमति मिलते ही बैठक करा ली जायेगी।
सीनेट की बैठक में की थी घोषणा
यूनिवर्सिटी के एक्सटेंशन काउंटर की मांग लंबे समय से चल रही है और विश्वविद्यालय की ओर से हर बार आश्वासन भी मिलता रहा है. हालांकि कभी योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी. 31 दिसंबर को हुई सीनेट की बैठक पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया।
साथ ही विधान पार्षद प्रो संजय सिंह ने भी इसका समर्थन करते हुए मांग रखी, तो कुलपति ने एक्सटेंशन काउंटर की घोषणा कर दी. हालांकि कुलपति ने उद्घाटन की तिथि तय करने को कहा, तो रेणु देवी ने पांच जनवरी का सुझाव दिया था।
चंपारण के छात्रों को होगी सहूलियत
बेतिया में यूनिवर्सिटी का एक्सटेंशन काउंटर खुलने के बाद चंपारण के छात्रों को सहूलियत होगी. पूर्वी व पश्चिमी चंपारण सहित आसपास के छात्रों को डिग्री, प्रोविजनल सहित अन्य कार्यों के लिए घंटों की यात्रा कर विश्वविद्यालय मुख्यालय नहीं आना पड़ेगा।
एमजेके कॉलेज बेतिया में एक्सटेंशन काउंटर प्रस्तावित है. अभी एक काम के लिए कम से कम तीन-चार बार यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाना पड़ता है. इससे परेशान होकर सैकड़ों छात्र बिचौलियों के चंगुल में फंस जाते हैं।
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